कभी आपने यह सोचा है कि आपकी दीवाली मनाने के लिए जो लोग दीवाली की रात तक आपके लिए काम करते हैं , वो दीवाली कैसे मनाते होंगे ?यहीं पर मानवीय संवेदनाओं की परख होती है कि आप कितने संवेदनशील हैं ,आखिर वो भी तो आपसे जुड़े हुए होते है और उनकी भी कुछ आस आपसे जुड़ी होती है ।ये कुछ कहते नहीं हैं बोलते नहीं हैं ,मांगते नहीं है ,आपके लिए काम करते जाते हैं ,आपका जो वैभव ऐश्वर्य ,सम्पन्नता दिखाई देती है ना उनके पीछे इनका भी खून और पसीना होता है ,।बस आप यही उनसे कहते हैं कि दीवाली तक सारा काम पूरा हो जाना चाहिए ।भला आप सोचे भी क्यों कि उनकी दीवाली कैसे मना करती होगी ?आप उनके काम के बदले पैसे जो देते हैं ।क्या सिर्फ मेहनताना दे देने से या बहुत दिल पसीजा तो मिठाई का एक डिब्बा और कुछ सिक्के दे देने से आपका कर्तव्य पूरा हो जाता है ।सोचिएगा जरूर ।(अनिल पाण्डेय)
Related Articles
नेतृत्व विहीन कांग्रेस रायगढ़ में कैसे नगर निगम का चुनाव लड़ेगी ?,यह यक्ष प्रश्न कांग्रेस को अंदर ही अंदर खाये जा रहा ?, दूसरी तरफ भाजपा का हौसला सातवे आसमान पर , नगर निगम चुनाव (1)
2 weeks ago
उद्योगों के जन्नत रायगढ़ में प्रिस्म स्टील के विस्तार का करो स्वागत ,क्योंकि विरोध की कोई नहीं है अहमियत , बहती गङ्गा में सभी लगाओ डुबकी,प्रीस्मो स्टील्स प्राइवेट लिमिटेड की 23 दिसंबर को जनसुनवाई
3 weeks ago