बेतालवाणीसंपादकीय

फाँकामस्त लोगों फाँकामस्ती ही तुम्हारे लिए धनतेरस और दीवाली थी

दिल से लिखी हुई मेरी ये पंक्तियां उन लोगों को समर्पित जिनकी जेब धनतेरस और दिवाली को खाली थी और जिसके कारण वो औरों की तरह खरीदी नहीं कर पाए और ना ही त्योहार मना पाए । ऐसे में यही कहना है कि जिनकी जेब खाली थी वो निराश मत होना ,उदास मत होना बल्कि विश्वास रखना एक ना एक दिन तुम्हारी जमेहनत ,तुम्हारी ईमानदारी तुम्हारे दामन को भी खुशियों की झोली से जरूर भरेगी ।धनतेरस ,दिवाली भी इस देश में 20 %लोगों के लिए है जिनके घरों में छप्पर फाड़ कर धन बरसता है ।यही लोग जमकर खरीददारी करते हैं ,अपनी सम्पन्नता ,अपने वैभव ,अपने ऐश्वर्य का भौंडा प्रदर्शन करते हैं । निम्न मध्यमवर्गी और गरीब तो त्योहार की सिर्फ रस्म अदायगी ही किया करते हैं उनकी हसरत सिर्फ हसरत बनकर रह जाया करती है । जबकि इसके विपरीत उच्चवर्गीय तबका इस त्योहार के माध्यम से यह संदेश देता हैं कि इस देश में महंगाई नहीं है ,अभाव नही है ,गरीबी नहीं है ,भूख नहीं है । भले ही जिनकी जेब खाली रही तो क्या हुआ पर तुम अपनी मस्ती में मस्त रहे होंगे क्योंकि तुम्हें रात में खाली पेट भी चैन की नींद बगैर बिछोने के भी आई होगी,इस मामले में तुम बहुत धनवान हो क्योंकि 99 के फेर में रहने वाले ,लक्ष्मी पुत्रों को ,धन पशुओं को ,मुद्रा राक्षसों को नींद तो नींद की गोली खाने के बाद भी नहीं आती है उनकी रातें तो मखमली बिस्तर पर करवटें बदलते हुए बेचैनी के आलम में गुजरा करती है ।

अनिल पाण्डेय

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