मिठाई ,मिठाई दुकान और हमारा रायगढ़
छेने से बनी मिठाइयों के मामले में कोलकाता और बनारस का कोई जवाब नहीं है लेकिन इस मामले में हमारा रायगढ़ भी कम नहीं ,वर्षो पहले घूम घूमकर गुलाब जामुन बेचने वाले बंगाली हलवाई के गुलाब जामुन का स्वाद उन्हें याद होगा जिन्होंने खाया था । मिठाई खाने के शौकीनों के बारे मे मैं एक पुरुष और एक महिला को जनता हूँ जिन्हें जिस स्थान की जिस मिठाई की प्रसिद्धि के बारे में पता चला वहाँ की मिठाई ना मिलने पर वहाँ मिठाई खाने चले गए ।मिठाई खाने के इनके इस शौक के चलते इनकी अधिकांश जमीन भी निकल गई ।*मिठाई खाने के शौकीनों की हमारे रायगढ़ में भी कोई कमी नहीं है तभी तो टिन -टपरों की छत के नीचे खुली मिठाई की दुकानें देखते ही देखते मिठाई के आलीशान शो रूम की तरह तब्दील हो गई।**रायगढ़ में लाजवाब स्वाद वाली मिठाइयों को परोसने का श्रेय राजस्थान ,हरियाणा ,बंगाल से आये हलवाइयों को जाता है ।मुझे इस क्रम में महाबीर होटल का गाजर पाक और हलवा याद आता है ,वैसे स्वाद का गाजर पाक और हलवा खाये जमाना बीत गया ,।**लगभग 50 साल पहले रायगढ़ में गिनती की मिठाई की दुकानें हुआ करती थी जिनमें पोकर होटल में बेहतरीन स्वाद वाली मिठाईयां बादशाह नाम का एक हलवाई बनाया करता था ।मिठाई की नामचीन दुकानों में महाबीर ,होटल ,मुरारी होटल , मौजी होटल ,तुलसी होटल का नाम याद आता है । स्वतंत्रता सेनानी अयोध्या प्रसाद जैन भी घूम घूमकर पेड़ा बेचा करते थे।रायगढ़ में स्टेट टाइम में पहली मिठाई की दुकान कब और किसने खोली थी ,इसे लेकर दावे -प्रतिदावे हो सकते हैं पर यह एक शोध का विषय जरूर हो सकता है ?लेकिन गुड़ से बने करी लाडू ,गुलगुला ,और गुड़ से बनी जलेबी को मैने रायगढ़ में इतवार के दिन इतवारी बाजार में बिकते हुए जरूर देखा है ,जो कि बाजार हाट दिन मिठाई बिकने की पुरानी परम्परा की याद दिलाता था।