रायगढ़

वन डाउन मेल दर्शन ,मेल वाली डबल रोटी ,पटेल की अनोखी चाय ,गुलजार रहते थे होटल

वन डाउन मेल दर्शन

मस्तमौला ,अल्हड़ ,खुशमिजाज ,जिंदादिल रायगढ़ की वो पीढ़ी अब बुजुर्ग हो चली है जो अपनी युवा अवस्था में जवानी के दिनों में रात को पौने नौ बजे मुंबई से हावड़ा के बीच चलने वाली वन डाउन मेल को अटेंड करने के लिए स्टेशन के प्लेटफॉर्म क्रमांक 1 में पहुँचा करते थे ।मेल प्लेटफॉर्म पर जैसे ही रुक करती थी वैसे ही इन लोगों की चाल देखने लायक हुआ करती थी और देखते ही देखते ये लोग एसी से स्लीपर तक की बोगियों का मुआयना कर लिया करते थे ।अब यह तो अनकहा ही रहेगा कि इनकी आँखें कोचों के अंदर किसे देखने ,ढूंढने के लिए बेचैन रहा करती थी

,स्टेशन का ए एच व्हीलर बुक स्टाल शहर के प्रबुद्ध पाठकों का केंद्र हुआ करता था जो रात में मेल के समय बुक स्टाल में रविवार ,धर्मयुग ,दिनमान ,
सारिका जैसी पत्रिकाओं को खरीदने के लिए पहुँचा करते थे ।जेब की स्थिति के अनुसार वो भी कुछ पत्रिकाएं खरीदा करते थे
*मेल वाली डबल रोटी **
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हावड़ा से चलकर तड़के सुबह रायगढ़ पहुँचने वाली 2 अप मेल में मिलने वाली डबल रोटी जिसने खाई होगी उसका स्वाद वो अभी तक नहीं भुला होगा ।मेल जैसी ही प्लेटफ़ॉर्म क्रमांक दो या तीन पर रुकती थी वैसे ही उसके पेंट्री कार के बाहर डबलरोटी लेने पहुँचे लोगों की भीड़ लग जाया करती थी ।मेल के छूटते छूटते तक जिसे डबल रोटी मिल गई वो विजेता की मुद्रा बनाये हुए चलता था तो जिसे नहीं मिल पाती वो मुँह बिचकाए हुए बैरंग वापस लौटा करता था ।खोडियार सर बताते है कि 1956 में मेल की डबल रोटी आठ आने में मिला करती थी ।
कई सालों के बाद रायगढ़ के एक व्यक्ति ने मेल से थोक में ही डबलरोटी खरीद कर स्टेशन चौक में बैठकर बेचना शुरू कर दिया ।जिन्होंने भी इस डबलरोटी को खाया है उनका कहना है उसके जैसा स्वाद उन्हें और किसी ब्रेड में नहीं मिला।
*पटेल की अनोखी चाय **
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80 के दशक के दौर में रायगढ़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म क्रमांक एक में जहां पर आरपीएफ का थाना है उसके सामने पटेल की चाय का ठेला लगा करता था ।इस चाय के ठेले में हमेशा भीड़ लगी रहती थी ।रात में तो शहर के युवक भी बड़ी संख्या में पटेल की चाय पीने पहुँचा करता था उन्हें पटेल की चाय की तलब स्वतः ही खींच लाया करती थी ।
गपशप मारने के बाद चाय का स्वाद लेने के बाद ही ये युवक यहां से रवाना हुआ करते थे यह सिलसिला रात में एक बजे तक तब तक चलता रहता था जब तक कि 29 डाउन मुम्बई हावड़ा एक्सप्रेस पास नहीं हो जाया करती थी।किरण पत्की बताते हैं कि उस दौर में रात में घूमने वाले युवावर्ग में शायद ही कोई बिरला रहा होगी जिसने पटेल के ठेले का स्वाद नहीं लिया होगा।
*स्टेशन के बाहर के होटल आधी रात तक गुलजार रहते थे **.
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रायगढ़ में रेलवे स्टेशन के बाहर 70 और 80 के दशक में होटल गुलजार रहा करते थे जहाँ पर चाय नाश्ते के साथ साथ रायगढ़ की राजनैतिक ,सामाजिक ,ज़
सांस्कृतिक ,प्रशासनिक समीक्षा भी हो जाया करती थी।
रेलवे स्टेशन के बाहर अनंत एस पत्की की कैंटीन जो बाद में कन्हैया होटल के रूप में तब्दील हो गई वहां के कचौरी ,गाठिया ,मिक्चर ,मूंग बड़ा का स्वाद बेहतरीन हुआ करता था ।राजस्थान किसान होटल जो बाद में मद्रास होटल बन गया वहां का इडली और डोसा ,गायत्री भोजनालय की पूरी सब्जी ,बाबा होटल की चाय ,सौराष्ट्र होटल का फाफड़ा और पेड़ा ,भंवर होटल जो बाद में नटराज होटल बना वहां का आलुगुण्डा और कलाकंद तो इंद्रपुरी होटल का दूध और रबड़ी उस दौर में लोग चाव से खाया करते थे।
*रायगढ़ की सुबह सुहानी हो गई है **
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रायगढ़ की सुबह अब बड़ी अलमस्त और सुहानी हो गई है ।ठंड भी अब पहाड़ों से चलकर धीरे -धीरे मैदानों में आने लगी है ,सूरज भी जो कुछ अलसाया हुआ था आज गरमाया हुआ है मानो कह रहा हो अब मैं कुछ देर से आऊंगा और जल्दी चला भी जाऊंगा । मेरे देश मेंअगैती वाली धान की फसल पक कर तैयार है इनके खेत सोने की बालियों से लदे हुए हैं ,पिछैती वाले धान के खेत अब फूलों से लदना शुरू हो गए हैं ,तो कहीं इनके फूलों में दूध भरा रहा है।बदलती ऋतू के साथ रोज दिखने वाली चिड़ियां भी बदल गई हैं ,बरसात की विदाई के साथ -साथ उन प्रवासी चिड़ियों की भी विदाई हो गई है जो बरसात में दिखती थी ,शीत ऋतु के आगमन के साथ इस ऋतु में दिखाई देनी वाली चिड़ियों का भी प्रवास शुरू हो गया है।अब एक नया कलरव है एक नई बयार और बहार है सबकुछ मनभावन ,लुभावन ,गुलजार है।सुबह सवेरे जो लोग मॉर्निंग वॉक के लिए निकलते है उन्हें सुबह का मौसम काफी भा रहा है और नई तरोताजगी से भर रहा है ।

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