रायगढ़

माँ काली एलायज की 24 अक्टूबर को होनेवाली जनसुनवाई निरस्त की जाए : राजेश त्रिपाठी जनचेतना ,कई बिंदुओं पर सिलसिलेवार जताया विरोध

रायगढ़ ।जनचेतना के राजेश त्रिपाठी ने
पीठासीन अधिकारी
क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल
रायगढ़ के नाम एक आवेदन में कहा हैकि 24 अक्टूबर को
मेसर्स मां काली अलायंज उधोग प्राइवेट लिमिटेड ग्राम देलारी और सरायपाली पोस्ट गेरवानी तहसील रायगढ़ जिला रायगढ़ की जन सुनवाई होने वाली है । छत्तीसगढ़ के इस स्टील प्लांट का विस्तार श्रेणी A परियोजना उल्लंघन श्रेणी के स्टील प्लांट का विस्तार डी आर आई किलन स्पंज आयरन 60,000 टी पी ए तक WHRB आधारित पावर प्लांट 4 मेगावाट से 34 मेगावाट तक CCM और LRFके साथ इंडक्शन फर्नेस हाट विजेट्स/MSबिलेटस /इनगाटस 56000 TPA से 372800TPA नई रोलिंग मिल रोलड प्रोडक्शन 396000TPA रीहीटिगं फर्नेस के लिए कोल गैस फायर 3500NM 3 /घंटा नई फेरो एलाय इकाई 2*9 इकाई MVA ,FESI-14000TPA /FEMN 40000 TPA SiMn 28000TPA /FeCr30000TPA पिंग आयरन 48000TPA ईंट निर्माण इकाई 10,000 ईटे/दिन से 50,000 ईंटें/दिन नई बिरेकिटिंग इकाई 200 किलों ग्राम/घंटा ड्राई कोयला वाशरी इकाई 3,30,000 TPA स्लैंग क्रासिंग इकाई 40,000 TPA उत्पादन हेतु प्रस्तावित जनसुनवाई का निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर हम इसका विरोध करते हैं |
1- मेसर्स मां काली अलायंज उधोग प्राइवेट लिमिटेड ग्राम देलारी सरायपाली पोस्ट गेरवानी की स्थापना क्षेत्र में पहले से लगभग छोटे-बड़े 73 स्पंज आयरन और पावर प्लांट स्थापित है जिसके कारण व्यापक पैमाने पर जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण के कारण जनजीवन पर व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ रहा है इसलिए मां काली एलायज की जनसुनवाई को स्थापना न देते हुए तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना चाहिए केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना 14 सितंबर 2006 के तहत किसी भी उद्योग के आवेदन जमा करने के 45 दिवस के अंदर जनसुनवाई का आयोजन राज्य सरकार द्वारा करवाया जाना चाहिए अगर किन्हीं परिस्थितियों बस राज्य सरकार 45 दिवस के अंदर जनसुनवाई का आयोजन नहीं कर पाती उन परिस्थितियों में केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय एक समिति का गठन करेगा जो संबंधित कंपनी की जनसुनवाई का आयोजन करेगा इस कंपनी के द्वारा जो आवेदन जमा किया गया है वह करीब एक वर्ष पूर्व है जो की 365 दिवस से ज्यादा आवेदन जमा करने का समय हो चुका है इस कारण आज की जनसुनवाई केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना 14 सितंबर 2006 के नियमों का उल्लंघन है इसलिए इस जनसुनवाई को तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए |
2- मेसर्स मां काली अलायंज उधोग प्राइवेट लिमिटेड ग्राम देलारी सरायपाली पोस्ट गेरवानी की विस्तार होने जा रहा है इस ग्राम पंचायत में पहले से सिलिकोसिस जैसे गंभीर बीमारियों से कई पीड़ित प्रभावित हैं जिनके उपचार हेतु आज पर्यंत तक किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई उक्त सिलिकोसिस प्रभावितों में से अब तक की 14 लोगों की मौत हो चुकी है जिसकी जानकारी ई आई ए में नहीं दी गई है जिससे यह साबित होता है की कंपनी द्वारा जो ई आई ए बनाया गया है वह जमीनी स्तर पर अध्ययन करने वाली कंपनी द्वारा नहीं बनाया गया है एवं व्यापक पैमाने पर झूठी जानकारी आम जनमानस को उपलब्ध कराई गई है इसलिए उक्त क्षेत्र में जमीनी स्तर पर पर्यावरणीय अध्ययन करने उपरांत ही उपरोक्त पर्यावरणीय जनसुनवाई करवाने का निर्णय लिया जाना चाहिए |
3- मेसर्स मां काली अलायंज उधोग प्राइवेट लिमिटेड ग्राम पाली देलारी सरायपाली पोस्ट गेरवानी की स्थापना परियोजना से व्यापक पैमाने पर जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण का विस्तार होगा जिससे यहां के जनजीवन जल जंगल जमीन जीव और जानवरों पर व्यापक प्रमाण पैमाने पर प्रभाव पड़ेगा जिससे उक्त उद्योग का स्थापना की अनुमति देना पर्यावरणीय मापदंडों का उल्लंघन होगा इसलिए उक्त परियोजना को स्थापना देने की अनुमति प्रदान ना किया जाए |
4- स्थापना परियोजना क्षेत्र से जहां एक तरफ बिलासपुर जलाशय, इंदिरा केलों बांध जैसे स्थल मौजूद हैं जिन पर उक्त परियोजना स्थापना के बाद व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ेगा एवं उक्त क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर संरक्षित वन उपलब्ध है जिन पर आसपास के निवासरथ आदिवासी ग्रामीणों द्वारा अपना जीवन यापन बानो उपज संग्रह करके किया जाता है जिसका प्रभाव सीधे-सीधे आदिवासी समुदाय के जीवन पर व्यापक पैमाने पर पड़ेगा इसलिए उक्त परियोजना के स्थापना की अनुमति प्रदानन नहीं किया जाना चाहिए |
5- उक्त कंपनी द्वारा उक्त कंपनी द्वारा पूर्व से ही व्यापक पैमाने पर उद्योग संचालन हेतु भूजल दोहन व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है जो कंपनी के विस्तार परियोजना के बाद लगभग भूजल दोहन की मात्रा 7 गुना और बढ़ जाएगी जिससे आसपास के क्षेत्र में अन्य उद्योगों के साथ-साथ व्यापक पैमाने पर भूजल दोहन करने से जल स्तर में व्यापक पैमाने पर गिरावट आएगी जिसका असर आसपास के ग्राम पंचायत के पेयजल के निस्तारण पर व्यापक पैमाने पर पड़ेगा इसलिए उपरोक्त कंपनी के स्थापना की जनसुनवाई निरस्त कर पर्यावरणीय संरक्षण माप दण्डों का पालन किया जाना उचित होगा ।
6- उपरोक्त क्षेत्र के अध्ययन हेतु राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण भोपाल द्वारा राज्य सरकार और जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि उपरोक्त क्षेत्र के पर्यावरणीय अध्ययन के उपरांत ही नए उद्योगों का विस्तार एवं पुराने उद्योगों के विस्तार के अनुमति पर विचार किया जाना चाहिए जिससे पर्यावरणीय प्रदूषण से आमजन जीवन पर पढ़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाना चाहिए जो आज पर्यंत तक नहीं हो पाया है इसलिए जब तक इस क्षेत्र में पर्यावरणीय अध्ययन कर इस क्षेत्र का जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण की स्थिति का आकलन नहीं हो जाता तब तक इस क्षेत्र में नए उद्योगों की स्थापना की अनुमति प्रदान करना उचित नहीं होगा |
7- इस क्षेत्र में पहले से ही पीएम 2.5 एवं पीएम 10 की मात्रा पर्यावरणीय मापदंडों से कई गुना अत्यधिक है जिसका प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा-सीधा दिखाई दे रहा है जिसमें टीवी दम इस्नोफीलिया कैंसर चर्म रोग सिलकोशिश जैसे गंभीर बीमारियां पाई जा रही हैं साथ ही स्तन धारी जीव में गर्भाशय जैसी बीमारियों का व्यापक पैमाने पर प्रभाव देखने को मिला है इसलिए उपरोक्त क्षेत्र में और उद्योगों की स्थापना की अनुमति देना उचित नहीं होगा ।
8- उपरोक्त क्षेत्र में पहले से ही काफी संख्या में नए उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार के अनुमति देने के कारण सड़कों में चलने वाले वाहनों से व्यापक पैमाने पर दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है एवं ध्वनि प्रदूषण वायु प्रदूषण जल प्रदुषण पर भी व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ा है जिससे इस क्षेत्र में नए उद्योगों की स्थापना की अनुमति देना उचित नहीं होगा।
9- आज की कंपनी का होने वाली जनसुनवाई कि जो ई आई ए है इसमें जो भी जानकारियां लगाई गई हैं वह अन्य होने वाली जनसुनवाई यों एवं कंपनियों की ईआईए की रिपोर्टर लगाई गई है उपरोक्त जानकारियां करीब 5 से 6 साल पुरानी है इसलिए केंद्रीय जलवायु परिवर्तन विभाग नई दिल्ली के आदेश अनुसार किसी भी कंपनी की जनसुनवाई में 3 वर्ष से पुराने डेटा का उपयोग नहीं किया जा सकता परंतु इस ई आई ए में जो भी जानकारी दी गई है वह 2011 के जनगणना के अनुसार है इसलिए यह जनसुनवाई अवैध है इसलिए आज की जनसुनवाई का हम विरोध करते हैं |
10- यह क्षेत्र हाथी प्रभावित क्षेत्र है जहां हाथियों द्वारा आसपास के ग्रामीणों के खेतों का कृषि नुकसान एवं कभी-कभी गांवों में या जंगलों में मानव छति भी पहुंचाई जाती है जिसकी क्षतिपूर्ति के रूप में रायगढ़ वन विभाग द्वारा कृषि क्षतिपूर्ति एवं मानव क्षतिपूर्ति के रूप में साथ ही हाथियों के भोजन एवं रखरखाव के लिए 4 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाते हैं वहीं सामारूमा एंव झिगोल में 50,000 00 रूपये लागत से दो साथी बांच टावर बनायें गये है इन परिस्थितियों में इस ई आई ए के अंदर इसका विवरण नहीं दिया गया है तैयार किए गए दस्तावेज पाते जाने बाले जंगली जानवरों की जानकारी दिखाई नहीं देती हैं जिससे यह कहा जा सकता है इस क्षेत्र की बनाई गई ई आई ए सच्चाई यों से कोई वास्ता नहीं रखती जो केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के नियमों का सीधा सीधा उल्लंघन है इसलिए इस जनसुनवाई को निरस्त कर जमीनी स्तर पर अध्ययन करवाने की आवश्यकता है |
11- क्षेत्र में कोयला खदान पावर प्लांट एवं स्थानीय उद्योगों के लिए चलने वाले ट्रकों से व्यापक पैमाने पर दुर्घटनाएं होती हैं जिसका विवरण इन दस्तावेजों में नहीं दिया गया है आने वाले समय में जब नई कंपनियों की स्थापना होगी जिससे सड़कों में व्यापक पैमाने पर दबाव बढ़ेगा जिससे दुर्घटनाओं में व्यापक पैमाने पर बढ़ोतरी होगी इनका विवरण इन दस्तावेजों में उपलब्ध नहीं कराया गया है कि प्रशासन द्वारा होने वाली दुर्घटनाओं को कैसे रोका जाएगा जबकि सड़कें दो लाइन की हैं वाहन क्षमता विस्तार को देखते हुए फोर लाइन बनाने की अति आवश्यकता है जिससे इस क्षेत्र में चलने वाले वाहनों से दुर्घटनाओं को रोका जा सके |
12- इस 10 किलोमीटर के क्षेत्र में प्राइमरी मिडिल हायर सेकेंडरी आंगनबाडी 100 से ज्यादा हैं जहां कभी भी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं करवाया गया जिससे यह पता चल सके कि रायगढ़ जिले के रायगढ़ एवं तमनार विकासखंड के अंदर औद्योगिकरण की वजह से आम जनमानस में स्वास्थ्य को लेकर किस तरह के के प्रभाव पड़े हैं जो कि इस क्षेत्र में सिलिकोसिस जैसे गंभीर बीमारियां पाई गई हैं जिसका विवरण इस अध्ययन रिपोर्ट में नहीं दिया गया है |
13- इस 10 किलोमीटर के क्षेत्र में 100 से ज्यादा आगनबाडी हैं जहां 1 वर्ष से 3 वर्ष तक के बच्चे एवं बच्चियां आगनबाडी में पढ़ती हैं जिनका अब तक किसी भी प्रकार का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं करवाया गया है जिससे यह पता चल सके कि आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य जीवन पर किस तरीके का प्रभाव पड़ा है जबकि देखा गया है कि इस क्षेत्र में इस्नोफीलिया दमा टीवी कैंसर शरीर में चर्म रोग जैसे बीमारी पाई गई हैं इनके लिए ना तो किसी कंपनी द्वारा और ना ही सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का कैंप का आयोजन अब तक नहीं किया गया है जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है |
14- जिंदल औद्योगिक पार्क पूंजीपथरा में जहां एक तरफ 30 से ज्यादा छोटे उद्योग स्थापित हैं वहीं पर जिंदल इंजीनियरिंग कॉलेज भी स्थापित है जहां सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं जिनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है आंखों में जलन चर्म रोग इस्नोफीलिया दमा जैसे गंभीर लक्षण पाए गए हैं जिसका अध्ययन केंद्रीय पॉल्यूशन बोर्ड नई दिल्ली द्वारा किया गया है और सरकार को यह सुझाव दिया गया है कि यहां से या की उद्योग बंद कर दिए जाएं या की यहां से जे आई टी इंजीनियरिंग कॉलेज को स्थानांतरित कर दिया जाए जो कंपनी और प्रशासन द्वारा अब तक नहीं किया गया है |
15- यह क्षेत्र पाचवीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है जहां पेसा एक्ट कानून लागू होता है ऐसा एक्ट कानून के मुताबिक दीना ग्राम सभा के अनुमति के बगैर किसी भी प्रकार का उद्योग एवं कोई गतिविधियां संचालित नहीं की जा सकती हैं परंतु प्रशासन द्वारा पांचवी अनुसूची पेसा एक्ट कानून के नियमों का सीधा उल्लंघन किया जाता है और ग्राम सभा के मिले अधिकारों का सीधा सीधा उल्लंघन किया जाता है जो पेसा एक्ट कानून के नियमों का सीधा सीधा उल्लंघन है |
16- क्षेत्र के 10 किलोमीटर के अंदर केलो डैम, बिलासपुर डैम स्थापित है जिनका जल प्रदूषण से पढ़ने वाले प्रभाव का आकलन नहीं किया गया है जबकि केलो डैम से रायगढ़ शहर एवं 20 से ज्यादा गांव शहर के ऊपर स्तर पर एवं शहर के नीचे बसे गांव केलो नदी के जल का निस्तारण करता है जिससे प्रदूषित जल की वजह से लोगों के शरीर में खाज खुजली एवं शरीर के ऊपर पढ़ने वाले प्रभाव का स्वास्थ्य परीक्षण अब तक नहीं किया गया है एवं जल की गुणवत्ता का अध्ययन भी नहीं किया गया है जो आवश्यक है की जल प्रदूषण के संबंध में पहले अध्ययन कराया जाए जिससे लोगों के जनजीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया जा सके |
17- जिले के औद्योगिक करण होने के कारण रायगढ़ जिले में अपराधों में व्यापक पैमाने पर बढ़ोतरी हुई है इसका मूल बजह दूसरे राज्यों से काम करने आने वाले जो लोग आसपास के गांवों में किराए के मकान में रहकर कार्य करते हैं जिनके द्वारा गंभीर घटनाओं में अपराध में हिस्सेदारी पाई गई है जिससे यह क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर अपराधों में बढ़ोतरी हुई है इसके लिए किस तरीके की गतिविधियों का संचालन किया जाएगा इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का कोई अध्ययन नहीं किया गया है |
18- रायगढ़ जिले में औद्योगिक करण होने के बाद भी स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार का अवसर नहीं मिला अगर रायगढ़ के रोजगार कार्यालय के जानकारी का अध्ययन करें तो लगभग 2 लाख 20563 युवा बेरोजगार रजिस्टर्ड है जबकि रायगढ़ जिले में 300000 करोड़ों रुपए से ज्यादा का पूंजी निवेश औद्योगिकरण के नाम से किया गया है इस पर कंपनी और सरकार को विचार करना चाहिए कि स्थानीय उद्योगों में स्थानीय बेरोजगारों को कैसे रोजगार उपलब्ध कराए जा सकते हैं |
19- रायगढ़ जिले का औद्योगिकरण होने के बाद भी महिलाओं को रोजगार का अवसर ना मिलना जबकि इस क्षेत्र में काफी महिलाएं तकनीकी शिक्षा से हैं साथ ही इस क्षेत्र में प्रत्येक गांव में युवतियों को देखा गया है की बीए बीएससी एमएससी इंजीनियरिंग जैसे उच्च शैक्षणिक योग्यता रखती हैं इसके बाद भी रायगढ़ जिले का दुर्भाग्य है कि स्थानीय उद्योगों में महिलाओं को रोजगार ना मिल पाना जिस पर एक अध्ययन की जरूरत है और स्थानी युवा युवतियों को स्थानीय उद्योगों में रोजगार उपलब्ध कराया जा सके जिससे रायगढ़ जिले के युवाओं में नौकरी को लेकर पलायन को रोका जा सके |
20- इस क्षेत्र में निवासरत लोग कृषि पशुधन एवं वनों उपज का संग्रह कर जीवन यापन करते हैं औद्योगीकरण की वजह से जंगलों में मिलने वाला तेंदूपत्ता महुआ डोरी चिरौंजी हर्रा बहेड़ा आमला पराया विलुप्त हो गया है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में खासतौर से आदिवासी समुदाय के लोगों का जीवन यापन खतरे में पड़ गया है इसलिए आसपास के स्थानीय आदिवासी समुदाय के परिवारों के प्रत्येक परिवार से कम से कम एक व्यक्ति को स्थानीय उद्योगों में रोजगार उपलब्ध कराया जाए |
अतः श्रीमान से अनुरोध है कि इन सभी तथ्यों का अवलोकन करने के बाद ही पर्यावरणीय स्थापना की अनुमति देने पर जिला प्रशासन राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को पुनर्विचार किया जाना चाहिए

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