जन कल्याण के लिए समर्पित ओपी चौधरी का जीवन,जन्मदिन पर विशेष
*संघर्ष के जरिए जीवन की राह स्वयं तय करने वाले ओम प्रकाश चौधरी के जीवन का पल पल जन कल्याण के लिए समर्पित है। संघर्ष की अग्नि में तपकर ओपी ऐसा खरा सोना बन गए जिससे पूरे प्रदेश वासियों को बड़ी उम्मीद है। बतौर राजनेता ओपी सिर्फ एक नाम नही बल्कि यूथ लोगो के लिए वे एक विचार धारा बन गए है।
पिता के निधन के बाद से कलेक्टर बनने तक के इस पीड़ा दायी सफर में उन्होंने अपने गम के आंसुओ को बताने की बजाय उसे खुशियों के आसुओं में तब्दील कर लिया। कलेक्टर रहने के दौरान भी उन्होंने नक्सल क्षेत्र के घनघोर अंधकार में शिक्षा का दिया प्रज्ज्वलित करने का साहसिक प्रयास किया। मध्य प्रदेश के गठन से लेकर आज तक नक्सल क्षेत्र में ऐसा प्रयास किसी भी अधिकारी किसी भी पार्टी या किसी भी नेता ने नही किया। अपनी जान को जोखिम में डालकर नक्सल क्षेत्र के ग्रामीणों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का यह महान काम जान हथेली में लेकर बॉर्डर में लड़ने वाले सैनिक की तरह जोखिम भरा था लेकिन ओपी ने अपने जीवन की परवाह किए बिना ही इस अनोखे कार्य को किया। ओपी के इस प्रयास से पूरे छत्तीस गढ़ का नाम पूरे विश्व में गौरांवित हुआ। नेता बनने के पहले और नेता बनने के बाद उनकी कथनी करनी के अंतर का भेद विपक्ष नहीं कर पाया। उनकी लड़ाई स्वय से है ताकि वे हर पल प्रदेश वासियों के लिए कुछ बेहतर कर सके। उनके तमाम निर्णय उस कड़वी दवाई की तरह है जो पीने में कड़वी लगती है लेकिन इस दवा का परिणाम प्रदेश के सेहत के लिए सुखद है। जी एस टी संग्रहण में अभूत वृद्धि ओपी की चमत्कारिक कार्य शैली का प्रमाण है वित्त का दायित्व संभालने के साथ ही उन्होंने कहा था कि कर संग्रहण के लिए ऐसा ट्रेकिंग सिस्टम लगाएंगे जिससे करो में अभुत पूर्व वृद्धि होगी और छह महीने के कार्यकाल में जी एस टी का कर संग्रहण देश मे सर्वाधिक रहा। विपक्ष हाय तौबा मचा रहा लेकिन कर संग्रहण में अभूत वृद्धि प्रदेश की भ्रष्ट छवि को उबारने में मददगार भी साबित हो रही है। सत्ता संभालने के बाद ओपी ने शिक्षा को लेकर युवाओं को टिप्स देने का प्रयास नहीं छोड़ा यही कार्य शैली ओपी को विरले राजनीतिज्ञ के रूप में स्थापित करती है। जहां भी वे जाते ओपी अपनी चिर परिचित मुस्कान, अपने विचार, अपने कार्य की अमिट छाप जनता के दिलो में छोड़ जाते है।