अपने गुलाबों के लिए प्रसिद्ध रहा रायगढ़ का रोज गार्डन अपनी उपेक्षा के चलते बदहाली का शिकार
रायगढ़। रोज या गुलाब गार्डन का जिक्र आते ही भले ही आपकी नजरों के आगे ढ़ेरों किस्सों के रंग बिरंगे गुलाबों की क्यारियां और मनभावन खुशबू से भरे किसी सुसज्जित गार्डन की तस्वीर आती होगी लेकिन वह तस्वीर रायगढ़ के गुलाब गार्डन की कदापि नहीं हो सकती क्योंकि यहां का रोज गार्डन एक उजड़े बियाबान की तरह है जहां की चहुंओर फैली गंदगी और पार्क के सरोवर में जमा जल की बदबू यहां पहुंचने वाले लोगों को नाराज और बदमिजाज होने पर मजबूर कर देती है।दुर्भाग्य की बात यह है कि शहर के करीब 30-40 एकड़ में फैले इस इकलौते रोज गार्डन की यह हालत तब है जब इसके संरक्षक यानि वन विभाग के प्रमुख समेत वन मंडल का कार्यालय महज चंद कदम की दूरी पर है और ठीक सामने जिला प्रशासन के उन आला अधिकारियों की रिहायशी कालोनी भी है जो रोजाना सुबह इसी गुलाब गार्डन यानि पर्यावरण पार्क में सुबह की चहलकदमी करते हुए इस रोज गार्डन की बदहाली पर अफसोस जताने से नहीं चूकते।
शहर के मानिंद कारोबारी , राजनेता गुलाब गार्डन में मार्निंग वाक के दौरान इसकी बदहाली पर मुखर होकर चर्चा करते नजर आए। किसी ने शहर के मध्य स्थित रोज गार्डन में एक बेहतरीन पार्क और पिकनिक स्थल होने की तमाम संभावनाएं होने की बात कही तो किसी ने इस पार्क में पसरी गंदगी और पार्क के तालाब में गंदे पानी की बदबू को स्वच्छता अभियान से जोड़कर इसकी सार्थकता पर सवाल खड़े कर दिए। किसी ने पार्क के पेड़ों की अधर में लटकी डालियों और शाखाओं से दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका जाहिर की तो कोई वन विभाग के अधीन इस पार्क की देखरेख में लापरवाही को लेकर वन मंडल पर बिफरते नजर आया। इसी चर्चा के दौरान स्पंज आयरन एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय अग्रवाल ने बताया कि पूर्व में डीएफओ स्वयं रोज गार्डन में निरीक्षण के बहाने विभागीय बैठक बुलाते और पार्क की व्यवस्था दुरुस्त रखने के प्रति सदैव गंभीर रहे किंतु अब जैसा सेनापति वैसी सेना की कहावत चरितार्थ करते हुए जैसे अधिकारी वैसे कर्मचारी का मनोभाव गुलाब गार्डन की शोभा बिगाड़ रहा है।विजय अग्रवाल ने बताया कि रोज गार्डन को संवारने के लिए वन विभाग भी फंड की प्रतीक्षा और उम्मीद करते देखा गया है। उन्होने बताया कि करीब 4 साल पहले डीएमएफ फंड से रोज गार्डन में सुबह की सैर करने वालों के लिए कसरत हेतु ओपन जिम लगाने और बच्चों के लिए कुछ झूले इत्यादि का प्रबंध किया गया था किंतु निगरानी और मरम्मत के अभाव में सब जीर्ण शीर्ष हो गया।हद तो तब हो गई जब पूर्व मे रोज गार्डन को दुरुस्त करने और स्वच्छ रखने के लिए शहर के जागरुक लोगों ने तत्कालिक वन मंडलाधिकारी से निवेदन किया तो डीएफओ ने अपनी जिम्मेदारी भूलकर दो टूक इनकार करते हुए फंड नहीं होने का हवाला दिया।आश्चर्य तो तब हुआ जब स्पंज आयरन एसोशिएशन के पूर्व अध्यक्ष,समाजसेवी विजय अग्रवाल ने मौजूदा डीएफओ से आग्रह किया कि साहब आप आदेश करें तो आपसी सहयोग अथवा व्यक्तिगत व्यय से यहां के उजड़े चमन व बदबूदार तालाबों के सौंदर्यीकरण सहित अनेकों आवश्यक कमियों को दुरूस्त करा दिया जाए ताकि यहां प्रतिदिन मार्निंग वॉक करने वाले सैकड़ों पुरुषों और महिलाओं को स्वच्छ वातावरण व शुद्ध पर्यावरण का भरपूर लाभ मिले।किंतु अधिकारी के जवाब से लोग हतप्रभ रह गए जब उन्होंने कहा कि राशि जमा करवा दो,हम ठीक करा देंगे।उस दिन से गुलाब गार्डन की दशा दिशा पर गणमान्य नागरिकों का मत!जैसा है सब ठीक है।
इसी कड़ी में रेडक्रास सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष व कॉपरेटिव बैंक के चेयरमैन संतोष अग्रवाल ने भी गुलाब गार्डन की मलीन होती शोभा पर आम राय से सहमत होते हुए वन विभाग की आर्थिक लाचारी को बाधा न मान जन सहयोग यानि क्राउड फंडिंग से गुलाब गार्डन का जीर्णोद्धार कराने का दम भरा।गणमान्य नागरिकों के मुताबिक़ शहर विस्तार के साथ भ्रमण और मनोरंजन के स्थलों की भी शहर में बहुत जरुरत है और यह नगर के जनप्रतिनिधियों तथा प्रशासन की उदासीनता का सबसे बड़ा प्रमाण है कि नये पार्क और रमणीय स्थल बनाना तो दूर रोज गार्डन जैसे जो एक दो पिकनिक गार्डन मौजूद हैं उनकी देखरेख तक नहीं कर पा रहे।यही वजह है कि हर सुबह स्वच्छ आब ओ हवा लेने रोज गार्डन पहुंचने वाले लोग अपने शहर के रहबरों की मनोदशा देख आक्रोशित आलोचना करने पर मजबूर होते हैं।नियमित मार्निंग वॉक के शौकीन शहर कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने भी गुलाब गार्डन सहित नगर के पार्कों की दुर्दशा को लेकर प्रशासनिक उदासीनता के प्रति सवाल खड़े किए।
ज्ञातव्य होकि अतरमुड़ा में बारहमासी नाले के किनारे वन विभाग की रोपनी केंद्र में लगभग 50 साल पहले देशी और विदेशी गुलाबों की कई किस्मों को यहां रोपित कर एक आकर्षक रोज गार्डन बनाया गया था ।यहां पर कई प्रकार की जड़ी -बूटी के पौधे लगाए गए थे और देखते ही देखते यह रोज गार्डन शहर के प्रातः काल की सैर करने वालों का पसन्दीदा स्थल के रूप में उभरकर सामने आया था ।
(साभार हरेराम तिवारी वरिष्ठ पत्रकार)