रायगढ़ जिले के जंगलों से आंवले के पेड़ गायब हो चले हैं , आंवले का आयुवेद और धर्मशास्त्रों में विशेष महत्व ,आंवला नवमी पर विशेष
रायगढ़ 9 नवम्बर ।आंवला की विशेषताओं ,गुण के कारण आयुर्वेद और धर्मशास्त्रों में इसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है । इसी के चलते हमारे पुरखों ने आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने और ग्रहण करने की व्यवस्था बनाई थी ताकि आंवले के पेड़ लगाने ,और उसके संरक्षण की प्रेरणा मिल सके।किसी जमाने में रायगढ़ के जंगलों में आंवले के पेड़ों की भरमार रहा करती थी लेकिन अब वह शायद ही ढूंढने से मिले ।रायगढ़ वन विभाग जंगलों के अंदर आंवले के पेड़ लगाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए तथा प्रकृति प्रेमियों को भी आंवले के पेड़ लगाना चाहिए ।आयुर्वेद और धर्मशास्त्र (स्मृतियाँ ) दोनों में आँवला की महिमा का वर्णन है ।इसदिन आँवले का पूजन स्पर्श परिक्रमा आदि जी जाती है और इसके नीचे भोजन करने का विधान भी है ।स्त्रियाँ विशेषतः पूजन आदि करती हैं ,इसके पीछे पौराणिक कथायें भी हैं ।आयुर्वेद में स्त्रीसंज्ञक औषधियाँ पार्वती का रूप मनी गयी हैं और पुरुष संज्ञक औषधियाँ शिवरूप हैं ,ये औषधियाँ सब चैतन्य हैं जड़ नहीं यह बात तो महान् वैज्ञानिक श्री जगदीश चंद्र बसु ने विज्ञान से सिद्ध कर दी है ।शास्त्रों में और आयुर्वेद में भी औषधियों की “अचिन्त्य शक्ति” स्वीकार की गयी है ।आवले का पूजन जहाँ धर्मशास्त्रों के अनुसार कल्याणप्रद है वहीं आयुर्वेद (भावप्रकाश निघण्टु आदि ) के अनुसार स्त्रीरोगों के हरण में आँवला अद्वितीय है ।आयुर्वेद और मंत्रशास्त्र के एक ग्रन्थ “काकचण्डीश्वरकल्पतंत्रम्”मे लिखा है कि आँवले की त्वचा के स्पर्श से स्त्रियों में अधिक होने वाला कष्टप्रद रोग प्रदर नष्ट हो जाता है। “स्पर्शेन हस्ताभ्यां प्रदरं नाशयेत् स्त्रियाम् ” –आमलकी खण्डप्रदर अति कष्टकर बहु प्रचलित रोग है इसमें आँवला की मूल का चूर्ण भी खाया जाता है ।आँवला इन दिनों फलपूर्ण होता है ,यह पार्वतीरूप है अतः स्त्रियों के पूजन करने परिक्रमा करने से और कोई इच्छा करने से वह पार्वती की कृपा से पूर्ण होती है इसीलिये इसे “इच्छा नवमी ” भी कहते हैं । भोजन आदिकरने से अधिकाधिक सम्पर्क का लाभ मिलता है औषधियाँ पूर्ण चैतन्य और “अचिन्त्यशक्ति ” सम्पन्न हैंअतः इच्छापूर्ति में पूर्ण समर्थ हैं ।इसके पीछे यह भी धारणा काम करती है कि हम दिव्य शक्ति सम्पन्न औषधियों का सम्मान करें और अपने स्वास्थ्य और सम्पन्नता के लिये उनका प्रयोग करेंआयुर्वेद में औषधियों का प्रयोग सिद्धियाँ प्राप्त करने को भी किया जाता है आँवला भारतीय संस्कृति में एक धार्मिक वृक्ष भी है ।अतः उसका सान्निध्य ,पूजन ,स्पर्श ,परिक्रमण आदि सर्वविध कल्याणकारी है ।