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सभी उद्योगों को एक तराजू पर नहीं तौला जा सकता , कुछ सज्जन भी पाए जाते हैं

इस बात से कोई इंकार नहीं है कि उद्योग देश के विकास में अग्रणी भूमिका निभाते हैं ।औद्योगिक क्रांति की वजह से ही योरोपीय देशों का विकास हुआ है । 2047 तक देश को जो विकसित राष्ट्र बनाने का सपना देखा जा रहा है उसमें कृषि ,सेवा कार्य ,श्रम के साथ साथ उद्योगों का भी महत्वपूर्ण योगदान होगा पर इसके लिए जरूरी है कि पर्यावरण का भी विशेष ध्यान रखा जाए। क्योंकि एक स्वस्थ राष्ट्र ही विकसित राष्ट्र बन सकता है ।
सभी उद्योगपतियों को एक तराजू पर रखकर नहीं तौला जा सकता है । कुछ एक ऐसे भी सज्जन होते हैं जो अपने क्षेत्र में विकास का और जनसेवा का कार्य करते हैं ,अपने यहां पर काम करने वालों को अपने परिवार का सदस्य समझते हैं क्यों वह अच्छे से जानते हैं कि वो कमाएगा तभी वो भी कमाएंगे ,सिर्फ पूंजी और साधन कमाने के लिए पर्याप्त नहीं हुआ करते ।आई ओ ए और बी एम ओ का छात्र होने के कारण मैं उद्योगों और व्यापार के सामने आने वाली परेशानियों ,चुनोतियो को अच्छी तरह से समझता और जानता हूँ । यह भी जानता हूँ कि जब लाभप्रद स्थिति आएगी तो इसके घड़े से जनसेवा ,परोपकार ,विकास के लिए भी पानी निकलेगा और यह जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी के साथ निभाने की सभी का उद्देश्य होना चाहिए ।

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