एक अकेली आवाज बहुत ताकतवर औऱ शक्तिशाली हुआ करती है क्योंकि वह उन मौन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जो किसी कारणवश खामोश बैठे हैं ।जिस तरह से एक आवाज सन्नाटे को तोड़ देती है ,रोशनी की एक किरण अंधेरे को दूर कर देती है ठीक इसी तरह एक अकेली आवाज बहरे कानों को सुनने पर ,गूंगे को बोलने पर ,अंधे को देखने के लिए मजबूर कर देती है ।सवाल आपके हितों से जुड़ा है ,सवाल आपके भविष्य से जुड़ा है ,सवाल आनेवाली उस पीढ़ी से जुड़ा है जो अतीत से यह सवाल करेगा कि जब रायगढ़ ,प्रदूषण गढ़ के रूप में तब्दील हो रहा था तब उसे रोकने के लिए आपने क्या किया था ?याद रखिये वर्तमान कभी भी अतीत का पीछा नहीं छोड़ता है ?*मशीनों का आना कभी बुरा नहीं रहा । आदिम युग में काष्ठ और पाषाणों के औजारों से शुरू हुआ मशीनों का विकास आज मंगल ग्रह तक जा पहुंचा है ।दरअसल में आदिम युग से शुरू हुआ मशीनों का विकास ही हमारी सभ्यता की यात्रा है जिसके साथ साथ किसी ना किसी रूप में प्रदूषण भी यात्रा कर रहा है। ।प्रकृति ही अनुसंधान की जननी है ।उसी के गर्भ से.धातुएँ निकलीं कोयला और तेल निकला है आखिर इस तरह ये सब धरती के ही रूप हैं लेकिन इसी ने जलकर प्रदूषण को जन्म दिया । संकट प्रदूषण का नही है ,संकट मनुष्य के मशीनीकरण हो जाने का है जो थोड़े से लालच के कारण थोड़ा सा धन बचाने के प्रदूषण को नियंत्रण करने वाली मशीन का उपयोग नहीं करता है ।दोष मशीन को भी नहीं दिया जा सकता क्योंकि मशीनों की वजह से प्रदूषण उत्पन्न होता है तो मशीनों के जरिये इस पर नियंत्रण भी पाया जा सकता है । मशीन हो चुका मनुष्य क्या इस दिशा में सोचेगा ?इस प्रश्न के साथ आपको चलते चलते छोड़ जाता हूँ ।