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यूपी के चुनावी मैथमेटिक्स में भाजपा है बेहद मजबूत ,क्या इंडिया गठबंधन कर पायेगा कोई करिश्मा ? दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर है गुजरता ,4 जून को हो जाएगा दूध का दूध और पानी का पानी

भारत की राजनीति में यह बात कही और मानी भी जाती है कि दिल्ली का रास्ता उत्तरप्रदेश से होकर गुजरता है । इसीलिए लोकसभा के चुनाव के समय सर्वाधिक चर्चा का केंद्र उत्तरप्रदेश ही रहा करता है आखिर हो भी क्यों ना ?क्योंकि लोकसभा की सबसे अधिक 80 सीटें इसी राज्य से आती हैं ।
2009 में उत्तरप्रदेश में हुए लोकसभा के चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में 47 .79%वोटिंग हुई थी ।इस चुनाव में सपा को 23 सीटें मिली थी और उसे 23.26%वोट मिले थे।बसपा को 20 सीटें मिली थी जबकि उसे 27.42% वोट मिले थे ।कांग्रेस को इस चुनाव में 21 सीटें मिली थी जबकि उसे 18.25%वोट मिले थे।भाजपा को दस सीटों पर संतोष करना पड़ा था और उसे 20.27%वोट मिले थे।
2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में 58.44%वोटिंग हुई थी। इस चुनाव में भाजपा ने उत्तरप्रदेश में अभूतपूर्व प्रदर्शन किया था और उसके सीटों की संख्या 10 से बढ़कर 71 गई थी जबकि उसके सहयोगी दल अपना दल को दो सीटें मिली थी ।भाजपा को इस चुनाव में 42.3%वोट मिले थे ।सपा को 22.2%वोट मिले थे और उसे 5 सीटें प्राप्त हुई थी ।इस चुनाव का एक आश्चर्य जनक पहलू यह था कि बसपा को 19.6%वोट मिले थे लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली थी जबकि कांग्रेस को 7.5%वोट मिले थे और उसे दो सीट मिली थी । जबकि इस चुनाव में रालोद और कांग्रेस का गठबंधन था ।
2019 में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में 59.21%मतदान हुआ था ।इस चुनाव में सपा और बसपा ने गठबंधन बनाकर भाजपा के खिलाप चुनाव लड़ा था । भाजपा को इस चुनाव में 49.6%वोट मिले थे और उसे 62 सीट मिली थी ।बसपा को 19.3%वोट मिले थे और उसे 10 सीट मिली थी ।सपा को18%वोट मिले थे और उसे 5 सीट मिली थी ।कांग्रेस को 6.3%वोट मिले थे और सिर्फ उसे एक सीट रायबरेली में सफलता मिली थी जबकि अमेठी में वह चुनाव हार गई थी।अपनादल को 2 सीट मिली थी।
2024 के चुनाव की बात करें तो उत्तरप्रदेश में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला हो रहा है किसे कितनी सीट मिलेगी इसका पता तो चार जून को ही चलेगा ।

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