रायगढ़

32 गांवों के सहयोग से विश्वशांति के लिए 12 वां अलेख महिमा ब्रह्म यज्ञ का समापन , हजारों श्रद्धालुओं ने भंडारा का प्रसाद ग्रहण किया

रायगढ़। पुसौर अंचल के 32 गांवों के सामूहिक प्रयासों से छिछोरउमरिया में आयोजित 12 वां आंचलिक विश्व शांति ब्रम्हयज्ञ महिमा बाल्यलीला मंगलवार 20 फरवरी को धूनी मंदिर में सामूहिक पूर्णाहुति के साथ संपन्न हो गया। इस आयोजन में शामिल होने के लिए दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और पूर्णाहुति में शामिल हुये। अंतिम दिन रायगढ़ विधायक और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओपी चैधरी की माताजी भी अलेख महिमा आश्रम पहुंची और ब्रम्हअवधुत बाबाओं का आशीर्वाद प्राप्त किया। धूनी मंदिर में पूर्णाहुति के बाद महाप्रसाद भंडारे का भी आयोजन किया जहां हजारों लोगों ने पूरी श्रद्धा के साथ भंडारा का प्रसाद ग्रहण किया। तीन दिनों तक चले अलेख महिमा आश्रम के इस आयोजन के दौरान गांव अलेख महिमा की भक्ति में सरोबार रहा।पुसौर से लगे छिछोरउमरिया में अलेख महिमा आश्रम द्वारा इस साल 12 वां आंचलित विश्व शांति ब्रम्हयज्ञ महिमा बाल्यलीला का आयोजन किया गया था। 18 फरवरी से 20 फरवरी तक चले इस आयोजन में शामिल होने के लिए पुसौर और आसपास के गावों के साथ ही ओड़िशा से भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और ब्रम्हअवधूत बाबाओं का आशीर्वाद प्राप्त किया। मंगलवार 20 फरवरी को आंचलिक विश्व शांति ब्रम्हयज्ञ महिमा बाल्यलीला का अंतिम दिन था, ऐसे में धूनी मंदिर के विशाल यज्ञ मंडप में आहुतियां देने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। कोई यज्ञ में नारियल चढ़ा रहा था तो कोई यज्ञ में अगरबत्ती अर्पित कर धूनी मंदिर की परिक्रमा लगा रहा था। जैसे-जैसे सूरज चढ़ता गया वैसे-वैसे श्रद्धालुओं की भीड़ भी बढ़ती चली गई। अलेख महिमा आश्रम में वक्कलधारी ब्रम्हअवधूत बाबा विरेन्द्र कुमार दास, वरूण बाबा और चक्रदास बाबा के दर्शन के लिए भी दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे थे।

रायगढ़ विधायक और कैबिनेट मंत्री ओपी चैधरी की माता कौशल्या देवी भी आयोजन के अंतिम दिन छिछोरउमरिया पहुंची जहां आयोजन समिति की ओर से उनका फुलमालाओं से स्वागत किया गया। इसके बाद वे धुनी मंदिर पहुंची और मंदिर की परिक्रमा की। इसके बाद सत्संग प्रवचन स्थल में जाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया फिर अलेख महिला आश्रम पहुंचकर ब्रम्हअवधूत बाबाओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए आश्रम में भी भोजन प्रसाद ग्रहण किया।विश्व शांति ब्रम्हयज्ञ में देश के कोने-कोने से साधू संतों का समागम 18 फरवरी से हीे हो गया था। इनमें ब्रम्हअवधूत चक्रदास बाबा एक ऐसे संत हैं जो कि इस धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिए बस्तर से कोरापुट बार्डर होते हुए पैदल चलकर पुसौर के छिछोरउमरिया पहुंचे आसैर ब्रम्हयज्ञ में शामिल हुये। इसके अलावा और दर्जनभर से अधिक साधू संतों ने भी लगातार तीन दिनों तक यहां आयोजित धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुये।ब्रम्हयज्ञ के अंतिम दिन रायगढ़ के समाजसेवी सुशील मित्तल और उनके परिवार के सदस्यों ने भी छिछोरउमरिया पहुंच कर अलेख महिमा आश्रम में ब्रम्हअवधूत बाबाओं का आशीर्वाद प्राप्त किया और धूनी मंदिर में मत्था टेका। तीन दिनों तक चले इस आंचलित विश्व शांति ब्रम्हयज्ञ महिमा बाल्यलीला में लगातार सत्संग और प्रवचन का दौर भी चलता रहा। जहां देश के कोने-कोने से पधारे संत महात्माओं ने श्रद्धालुओं को अलेख महिला आश्रम के बारे में जानकारी दी और सदमार्ग में चलने की प्रेरणा दी। ब्रम्हयज्ञ के अंतिम दिन सत्संग सुनने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु महिला-पुरूष यहां पहुंचे थे।तीन दिनों तक हजारों की संख्या की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ छिछोरउमरिया में उमड़ी, ऐसे में दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को यहां किसी भी तरह की कोई दिक्कत न हो, इसके लिए आयोजन समिति के सदस्य भी लगातार अपनी सेवायें देतेे रहे। आयोजन स्थल के समीप ही एक पंडाल बनाया गया था जहां समिति से जुड़े पदाधिकारी और सदस्य अपनी सेवायें दे रहे थे। तो वहीं हजारों की संख्या में उमड़ने वाली भीड़ के मद्देनजर मंदिर के बाहर मैदान में पुसौर स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक स्वास्थ्य परीक्षण केन्द्र का आयोजन भी किया गया था जहां बाहर से आये श्रद्धालुओं के निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही दवाईयां भी वितरित की जा रही थी।विश्व शांति ब्रम्हय महिमा बाल्यलीला के तीन दिवसीय आयोजन के दौरान बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रोज भंडारे के रूप में भोजन प्रसाद की व्यवस्था भी की गई थी तो वहीं ब्रम्हयज्ञ के अंतिम दिन महाप्रसाद के रूप में विशाल भंडारा का आयोजन किया गया था जहां हजारों की संख्या में महिला-पुरूष, युवा और बच्चों ने आकर पूरी श्रद्धा के साथ भोजन प्रसाद ग्रहण किया। इस महाप्रसाद भंडारा के लिए समिति की ओर से पहले से ही पूरी व्यवस्था कर ली गई थी। यही वजह है कि हजारों की भीड़ उमड़ने के बाद भी भंडारे के दौरान कहीं कोई अव्यवस्था की स्थिति नहीं दिखी और श्रद्धालुओं ने बड़े ही इतमिनान से भोजन प्रसाद ग्रहण किया। अंतिम दिन के विशाल भंडारे के लिए भोजन बनाने के काम में तकरीबन डेढ़ सौ लोग लगे हुये थे।छिछोरउमरिया में पिछले 12 सालों से यह धार्मिक आयोजन किया जाता है और आयोजन के दौरान हर साल यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है। इस साल भी 18 से लेकर 20 फरवरी तक अलेख महिमा आश्रम के समीप ही मेला का आयोजन भी किया गया था जहां धार्मिक अनुष्ठान के बाद लोगों की मेले का भी खूब आनंद उठाया और खरीदारी की। मेले में बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए झूला लगे थे जहां दिनभर लोगों की अच्छी खासी भीड़ दिखी। दूर-दराज गांवों ब्रम्हयज्ञ में शामिल होने आये लोगों ने मेले का मजा लेकर अपनी थकान मिटाई और खरीदारी करते हुए अपने-अपने घरों को लौटे।इस पूरे आयोजन के दौरान के आयोजन समिति से जुड़े हर सदस्यों के साथ इस आयोजन में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखा गया। धूनी मंदिर की परिक्रमा और अलेख महिमा आश्रम में ब्रम्हअवधूत बाबाओं के आशीर्वाद लेकर सभी धन्य हुये। हर किसी ने आयोजन समिति द्वारा यहां की गई व्यवस्था की तारीफ की।

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