रायगढ़ जिले के अंदर कोयला आधारित उद्योगों को जिस नियमों का पालन किये जाने की शर्तों पर पर्यावरणीय स्वीकृति दी गई है उनके द्वारा क्या स्वीकृति की शर्तों का पालन किया जा रहा है ? यदि पालन किया जा रहा है तो इसकी पुष्टि कौन करेगा ?
फ्लाई ऐश के निबटान के लिए एन जी टी द्वारा जो दिशा निर्देश जारी किए गए है क्या उसके अनुरूप रायगढ़ में उद्योगों द्वारा फ्लाई ऐश का सौ प्रतिशत निबटान किया जा रहा है ?यदि नहीं तो फिर इसके लिए कौन जिम्मेदार हैऔर उसके विरुद्ध क्या कार्रवाई की जा रही है?
जब जब उद्योगों की स्थापना या विस्तार के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए जनसुनवाई होगी तब तब शाश्वत रूप से इस तरह के सवाल खड़े होते रहेंगे ।
क्या फ्लाई ऐश को अपनी सांसों के साथ लेना हमारी नियति बन गया है ?
रायगढ़ में वायु प्रदूषण के कारण हवाओं की जो कराह है ,आर्तनाद है ,पीड़ा है ,क्रंदन है, व्यथा है ,इसकी पुकार हवाएं किसके पास जाकर करे ?उसकी पुकार कौन सुनने वाला है ?कौन इन हवाओं के दुख और दर्द को दूर करेगा ?हवाएं अभी तक आश्वासनों और भरोसे का झुनझुना सुनते आयी हैं ।यही हकीकत है ।