रायगढ़ के सेवाभावी चिकित्सकों में जो नाम सबसे पहले आता है ,जो चेहरा प्रथम पंक्ति में सबसे पहले दिखाई देता है वो नाम और चेहरा महिला चिकित्सिका डॉक्टर सहगल का है ।
डॉ सहगल ने अविवाहित रहते हुए 40 वर्षों से अधिक की अवधि रायगढ़ के अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय को पूरी सेवा भावना ,मानवीयता के उच्च सोपानों के साथ समर्पित किया था ।डॉक्टर सहगल दिन हो रात हो वो हर समय अपने अस्पताल में प्रसूति के लिए आनेवाली महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराने के लिए तैयार रहा करती थीं।
डॉ सहगल ने जब तक अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय में अपनी सेवाएं दीं तबतक उन्होंने अपना चिकित्सीय धर्म पूरी सेवा भावना ,ईमानदारी ,कर्तव्य निष्ठा
,कड़े अनुशासन के साथ निभाया ।रायगढ़ के लोग उन्हें अपनी माँ का दर्जा दिया करते थे और जब वह किसी को उसकी लापरवाही के कारण डाँटना शुरू करती थीं तो रायगढ़ के अच्छे अच्छे लोग भी उनकी डांट -डपट को सिर झुकाकर चुपचाप सुना करते थे जोकि डॉक्टर सहगल के प्रति उनके सम्मान किये जाने का ही प्रतीक था ।
डॉक्टर सहगल ने अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में मिशन के एक मेडिकल क्लोज से डॉक्टरी की पढ़ाई की थी ।देश के विभाजन के बाद 1947 में दिल्ली आई थीं और वहां से भिवानी के एक मिशन असपताल में बतौर चिकित्सक के रूप में उन्होंने कुछ समय के लिए अपनी सेवाएं दी थी ।उसी दौरान रायगढ़ के सेठ किरोड़ीमल ने रायगढ़ में अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय का बनाया था और इस अस्पताल के लिए उन्होंने योग्य ,कुशल और सेवाभावना से परिपूर्ण डॉक्टर सहगल को भिवानी से रायगढ़ के अपने अस्पताल में लेकर आये थे ।डॉक्टर सहगल का पूरा नाम डॉक्टर चम्पा सहगल था पर लोग उन्हें डॉक्टर सहगल के नाम से ही जाना करते थे ।डॉक्टर सहगल अपनी योग्यता ,कार्यकुशलता ,मानवीयता ,और सेवाभावना के बलबूते पर शीघ्र ही प्रसिद्ध होने लगी थी जिसके कारण अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय की ख्याति भी दूर दूर तक फैल गई और रायगढ़ जिले के ही लोग नहीं बल्कि उड़ीसा के राउरकेला ,सम्बलपुर ,झारसुगुड़ा से भी महिलाएं यहां पर सुरक्षित प्रसव तथा रोगों के उपचार के लिए आया करती थी और डॉक्टर सहगल के पास पहुंचकर अपने आपको डॉक्टर सहगल के हाथों सुरक्षित महसूस किया करती थी।
डॉक्टर सहगल 1947 -48 के समय रायगढ़ पहुंची और अनवरत रूप से उन्होंने 1990 तक अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय में रहकर रायगढ़ जिले के लोगों को अपनी सेवाएं दीं।इसके बाद डॉक्टर सहगल अपने परिजनों के पास वापस दिल्ली लौट गईं।