राजनीतिरायगढ़

औसत उत्पादन की आनावरी रिपोर्ट के आधार पर धान खरीदी करना किसानों के साथ सरकार का धोखा- विधायक उमेश पटेल

नंदेली /22 नवंबर । भाजपा के सरकार ने प्रति एकड़ धान 21 क्विंटल खरीदने का वादा किया है और दूसरी ओर औसत उत्पादन की आनावरी रिपोर्ट पहले से दर्ज कर लिया गया है उससे ज्यादा का टोकन नहीं काटने का निर्देष दिया है। साथ ही साथ साप्ताहिक भौतिक सत्यापन का निर्देष दिया गया है। धान खरीदी के लिए दिए निर्देष के अनुसार धान उत्पादन की औसत निकालने को कहा गया है। खरीदी पोर्टल में समितिवार, केन्द्रवार औसत उत्पादन की मात्रा दर्ज कर दी गई है। इससे अधिक का टोकन भी किसानों को नही दिया जाएगा। जिससे सरकार की 21 क्विंटल धान खरीदने की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगता है। भले ही सरकार ने 21 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान खरीदने का ऐलान किया है किन्तु दूसरी ओर किसानों से कम धान खरीदी करने के लिए हर क्षेत्र की गिरदावरी और फसल कटाई प्रयोग से औसत उत्पादन की गणना की गई है। इस आंकड़े को समिति और उपार्जन केन्द्रवार डाला गया है। खरीदी पोर्टल में टोकन को एंट्री के साथ आनावरी रिपोर्ट भी अपलोड की गई है। धान विक्रय के लिए सप्ताह भर पहले से टोकन काटने का प्रावधान किया गया है। टोकन के बाद सप्ताह भर में काटे गए टोकन का सत्यापन होगा। पोर्टल में दर्ज औसत उत्पादन से टोकन का मिलान होगा। इस संबंध में अपेक्स बैंक ने समितियों और अपने ब्रांच आफिस को भी आदेश दिया है कि औसत उत्पादन की आनावरी रिपोर्ट के आधार पर ही धान खरीदी की जाए। इस पर विधायक उमेश पटेल का कहना है कि धान खरीदी की प्रक्रिया को इतना जटिल बना दिया है कि किसान परेशान हो जाए और धान विक्रय न कर सके। सरकार का मंशा लगता है कि ऐन-केन प्रकारेण किसी भी तरह से कम से कम धान खरीदी की जाए। औसत उत्पादन की आनावरी रिपोर्ट हर ग्राम में अलग-अलग रहता है तो क्या हर ग्राम के किसानों के अलग-अलग मात्रा में धान खरीदा जाएगा। इस पर भी प्रश्नचिन्ह लगता है। 21 क्वींटल खरीदी का वादा कर आनावरी रिपोर्ट के आधार पर धान खरीदी का आदेश देना ही किसानों से कम धान खरीदी करने का मंशा लगता है। आज यदि ऐसा होता है तो यह सरकार का किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। इस प्रकार से खरसिया विधायक उमेश पटेल ने धान खरीदी के प्रक्रिया पर तथा सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाया है तथा कहा है कि यदि किसानों का धान 21 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से नहीं खरीदा गया तो किसानों के साथ मिलकर उग्र आंदोलन किया जायेगा एवं किसानों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं होने दिया जायेगा।

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