रायगढ़

1जनवरी 1947 को जिला बना था रायगढ़, आजादी के दीवाने,आजादी का प्रतीक है जय-स्तम्भ

रायगढ़ 18 अगस्त ।राजशाही काल में ही अंग्रेजों ने ईस्टर्न स्टेट एजेंसी की पूर्व की पांच रियासतों रायगढ़ ,सारंगढ़ ,जशपुर ,उदयपुर (धरमजयगढ़ ),और शक्ति को मिलाकर 1 जनवरी 1947 को रायगढ़ जिला बनाया था बाद में शक्ति को पृथक कर के उसे बिलासपुर जिले में शामिल किया गया ।*: *रायगढ़ में आजादी के दीवाने **जब पूरे देश में अंग्रेजों की गुलामी से छुटकारा पाने के लिए स्वाधीनता का संघर्ष चल रहा था ,अंग्रेजों द्वारा किये जाने वाले अत्याचार ,शोषण के विरुद्ध आंदोलन और संघर्ष हो रहा था तो भला रायगढ़ इससे अछूता कैसे रह सकता था ?रायगढ़ भी आजादी के लिए आंदोलन की भावना से ओतप्रोत था ।रायगढ़ की तरुणाई और जवानी में आजादी की लहरें हिलोर मार रही थी ,तूफान उठ रहा रहा था ।रायगढ़ में अंग्रेजों से आजादी के लिए और राजशाही के ख़िलाप आंदोलन करने वालों जो लोग शामिल थे उनमें वंदे अली फातमी ,अमरनाथ तिवारी ,वारेन्द्रनाथ बनर्जी ,रामकुमार अग्रवाल ,दयाराम ठेठवार ,तोड़ाराम जोगी ,सिद्धेश्वर गुरु ,किशोरीमोहन त्रिपाठी,मुकुंद तिवारी ,अयोध्या प्रसाद जैन ,ठाकुर जगदीश सिंह , ब्रजभूषण शर्मा ,दुलीचन्द शर्मा ,रजनीकांत मेहता ,गनपत श्रीवास्तव ,अमरदास देशभक्त ,दयाशंकर मिश्र ,महादेव सिंह ठाकुर ,सुशील सेन गुप्ता ,अलगू चौधरी ,माताअवतार सिंह ,हरिचरण साव ,कन्हैयालाल पटेल ,रामचन्द्र वानी ,सोनुदास महंत , सारंगढ़ क्षेत्र की नान्हू बाई ,तो गोवा मुक्ति आंदोलन में भाग लेने वाले मामा बनारसी ,रामकिशन लुटेरिया आदि शामिल थे ।इस सूची में जिस किसी का नाम मेरी स्मरण शक्ति में ना आ पाने के लिए छूट गया हो वो मुझे क्षमा करेंगे ।

*जय -स्तम्भ *

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्ष के कारण 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजादी मिल गई । देश के सभी नगरों ,कस्बों में आजादी के प्रतीक के रूप में जय -स्तम्भ बनाया गया था ।

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